क्रॉस एफआईआर CROSS F.I.R. क्या है ? CROSS F.I.R. के फायदे ओर समय सीमा कितनी हैं।

क्रॉस एफआईआर CROSS F.I.R. क्या है ? CROSS F.I.R. के फायदे ओर समय सीमा कितनी हैं।

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SachinLLB : किसी व्यक्ति पर जब भी कोई शिकायतकर्ता किसी विवाद या लड़ाई झगड़े को लेकर किसी भी थाने में FIR दर्ज करवाता है , और उसके बाद सामने वाला व्यक्ति भी उस शिकायतकर्ता पर उसी विवाद में एफआईआर F.I.R. दर्ज करवाता है , तो उसे क्रॉस एफआईआर CROSS F.I.R. कहते हैं , इसका सीधा मतलब यह है कि दोनों पार्टी एक दूसरे के खिलाफ एक ही विवाद पर FIR दर्ज करवाते हैं तो उसे क्रॉस एफआईआर कहते हैं । 

F. I. R. डाउनलोड करें - Click Here


एफआईआर या क्रॉस एफआईआर कैसे करें -


01. सबसे पहले तो आप थाने में जाकर घटना से सम्बंधित मौखिक रूप से कथन देकर भी एफआईआर दर्ज करवा सकते है, यदि पुलिस अधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज नही की जाती है । तो


02. उसके बाद पुलिस को लिखित में शिकायत दें,  अगर पुलिस लिखित शिकायत पर FIR रजिस्टर कर देती है, तो ठीक है , वरना आप डीएसपी या एसपी  स्तर के अधिकारियों को लिखित में शिकायत दें सकते है और उनसे एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध कर सकते हैं। उसके बाद एफआईआर दर्ज हो जाएगी और यदि किसी मामले में फिर भी एफआईआर दर्ज नही की जाती है तो


03. आप संबंधित कोर्ट Court में जाकर Section 156 ( 3 ) CrPC की याचिका अपने वकील ( Advocate ) के माध्यम से दायर करें।


04. यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई चोट लगी है , तो पुलिस को सूचित करें तथा तुरंत अपना मेडिकल करवाएं और एमएलसी ( MLC ) कटवाएं । 


05. यदि चोट ज्यादा है और आप पुलिस थाने में नहीं जा पाते हैं , तो सीधे हॉस्पिटल ( Hospital ) भी जा सकते हैं, क्योंकि हॉस्पिटल में पहुंचने पर हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा खुद ही पुलिस को इस बारे में सूचित करता है ।


CROSS F.I.R. करने के क्या हैं फायदे -


• क्रॉस FIR करने से आपका केस मजबूत बनता है,  जिससे आपका वकील ( Advocate ) कोर्ट में आपके केस को ज्यादा बेहतर ढंग से लड़ सकता है ।


• क्रॉस FIR करने से सामने वाली पार्टी पर भी दबाव बना रहता हैं, क्योंकि एक केस उसके ऊपर भी चलता है,ओर आप दोनों के बीच में समझौते के चांस काफी बढ़ जाते हैं ।


• क्रास एफआईआर करने से दोनों ही पार्टी एक - दूसरे के आमने - सामने , फरियादी ओर आरोपी बने रहते है, तथा दोनों ही यह चाहते है कि केस जल्दी खत्म होए, ओर हो सकता है इसी बीच दोनों केस में समझौता हो जाये तो दोनों के केस समाप्त हो सकते हैं।


CROSS F.I.R की समय सीमा -


एफआईआर करने की वैसे तो कोई समय सीमा नहीं होती हैं, लेकिन फिर भी हमेशा जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी एफआईआर F.I.R. दर्ज करवानी चाहिए ,


क्योंकि देरी से एफआईआर करने वाले मामलों में अधिकांश देखा गया है, की पुलिस को भी सबूत जुटाने में परेशानी आती है, क्योंकि समय लंबा बीत चुका होता है,  और काफी सारी बाते दिमाग से भी निकल जाती है ।


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महत्वपूर्ण सुझाव -


01. कभी भी झगड़े या मारपीट के मामलों में तुरंत जाकर मेडिकल अवश्य कराएं ओर एमएलसी ( MLC ) रिपोर्ट कटवाएं ।


02. झगड़े वाले मामलों में एमएलसी कहां कराई गई है यह भी बहुत महत्वपूर्ण है, ओर कोशिश करें कि मेडिकल सरकारी हॉस्पिटल ( Government Hospital ) में ही करवाएं और यदि  ऐसा संभव नहीं है, तो किसी मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल से ही करवाएं । 


03. कभी भी झगड़े या मारपीट के मामलों में अगर आपको चोट या हानि पहुंची है, और सामने वाली पार्टी ने आप पर एफआईआर दर्ज करवा दी है, तो आप भी थाने जाकर क्रॉस FIR अवश्य करवाएं । 


04. मारपीट वाले मामलों में अधिकतर यह देखा गया है, कि लोग कानून के ज्ञान के अभाव में खुद ही केस को कमजोर बना देते हैं, जिससे उन्हें केस के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

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