प्रथम सूचना प्रतिवेदन FIRST INFORMATION REPORT क्या है ?
F I R क्या हैं ? What is F I R ?
SachinLLB : प्रथम सूचना प्रतिवेदन ( FIR ) से आशय उस सूचना information से है जो किसी भी प्रकार के संज्ञेय अपराध Cognizable Offence के घटित होने पर पुलिस को दी जाती है, ताकि पुलिस घटना से सम्बंधित तुरंत कार्यवाही प्रारंभ कर सके इसी प्रकार दूसरे शब्दों में , प्रथम सूचना रिपोर्ट समय के क्रम में पुलिस police को दी जाने वाली वह प्रथम सूचना है जो शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं या अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जाती है। तथा यह आपराधिक कानून को गति प्रदान करती है और मामले के अन्वेषण की शुरुआत को चिह्नित करती है, जो धारा 169 या धारा 170 जिस प्रकार घटना हो के साथ समाप्त होती है और उसके पश्चात् CrPC की धारा 173 के तहत Police Report को मजिस्ट्रेट के सामने प्रेषित किया जाता है।
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प्रथम सूचना रिपोर्ट ( FIR ) से संबंधित महत्वपूर्ण बातें :
1. प्रथम सूचना प्रतिवेदन लिखित में होना चाहिए ।
2. प्रथम सुचना प्रतिवेदन पुलिस अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जाती है ।
3. प्रथम सूचना ऐसे अपराध crime के बारे में दी जाती है जो गंभीर प्रकृति के होते हैं ।
4. प्रथम सूचना प्रतिवेदन किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया जा सकता है, चाहे वह व्यक्ति एक पुलिस अधिकारी police officer ही क्यों न हो ।
5. प्रथम सूचना प्रतिवेदन पुलिस को इस आशय से दि जाती है कि, पुलिस अपराध घटित होने की जानकारी होते ही अनुसंधान व जाँच को प्रारंभ कर दे ।
6. यदि सूचना किसी संज्ञेय अपराध से संबंधित है तो पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी ऐसी रिपोर्ट को दर्ज करने के लिए बाध्य है ।
7. प्रथम सूचना टेलीफोन द्वारा भी दी जा सकती है ।
8. लिखी गई सूचना की एक प्रति सूचना देने वाले व्यक्ति को तत्काल उसी समय नि : शुल्क दी जाना भी आवश्यक है ओर यह उसका अधिकार भी हैं ।
9. प्रथम सूचना रिपोर्ट विस्तृत दस्तावेज नहीं होता है , F I R में मात्र घटना का सार लिखा जाता है ।
• कोर्ट ( court ) में अभियुक्त की अनुपस्थिति में अभियुक्त की ओर से लगने वाला आवेदन पत्र।
• जमानत याचिका धारा 437 दण्ड प्रक्रिया संहिता । Bail Application under section 437 CrPC format.
M.P. Police FIR |
पुलिस police द्वारा लिखी गई प्रथम सूचना यह प्रदर्शित करती है कि अनुसंधान किन सामग्रियों पर प्रारम्भ हुआ अर्थात अपराध की जानकारी किस समय व किस तारीख को दी गई , सूचना देने वाला व्यक्ति कौन था, उसने सूचना में किन- किन व्यक्तियों को अपराधी Accused बताया है या किन - किन व्यक्तियों द्वारा घटना को अंजाम दिया गया , ये महत्वपूर्ण जानकारीयाँ प्रथम सूचना रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया परिलक्षित की जाती हैं और ये जानकारी परीक्षण के समय बहुत अधिक महत्व रखती है परन्तु इसके उपरांत भी प्रथम सूचना रिपोर्ट को मौखिक साक्ष्य Evidence नहीं माना गया है, किन्तु भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 157 के अधीन परिपुष्ट के प्रयोजन के लिए इसे विचार किया जा सकता है यदि उससे सभी उपबन्धों का अनुवर्तन किया गया हो तथा यह प्रतिवेदन या सूचना देने वाले को साक्ष्य के रुप मे माना जाता हैं, यह एक भूतपूर्व कथन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जो सूचना देने वाले व्यक्ति के द्वारा बाद में न्यायालय ( court ) में किए गए कथन की परिपुष्ट या खण्डित करने के लिए होता है ।
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