भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार। Mahilaon ke Kanuni Adhikar.

भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार। Mahilaon ke Kanuni Adhikar.


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SachinLLB : वर्तमान स्थिति में हमारे समाज में महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद भी अपने कई सारे कानूनी अधिकारों (legal rights) से अनभिज्ञ हैं, तथा उन्हें अपने अधिकार तक नही मालूम नही है, शिक्षित या अशिक्षित महिलाएं नहीं वरन भारतीय समाज (Indian Society) का एक बड़ा हिस्सा जो आज भी अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं।


ओर यदि जागरूक भी हैं तो अपना अधिकार माँगने में सक्षम नही है, कभी तो वे पारिवारिक दबावों या सामाजिक दबाव (family pressures or social pressure) के कारण अपना अधिकार प्राप्त करने से हिचकिचाती है।


आज के युग मे महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है, आज महिलाएं कामयाबी की बुलंदियों को छू रही हैं, तथा हर एक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं ओर इन सबके बावजूद भी उन पर होने वाले अन्याय, अत्याचार, बलात्कार, शोषण, पताड़ना आदि में कोई कमी नहीं आई है ।


तथा आज भी महिलाओं का शोषण (exploitation of women) हो रहा है  और कई महिलाएं तो ऐसी भी है कि उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी तक नहीं होती हैं। तो आइए महिलाओं से जुड़े कुछ प्रमुख कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी लेते हैं।


• जमानत याचिका धारा 437 दण्ड प्रक्रिया संहिता । Bail Application under section 437 CrPC 

• भारतीय दंड संहिता की धारा 420 क्या है ? Section 420 IPC in Hindi 


महिलाओं से संबंधित कानूनी अधिकार | Womens legal Rights -


1. किसी भी शादीशुदा महिला को दहेज़ के लिए प्रताड़ित करना या किसी भी प्रकार से रुपये, जेवर, या अन्य सम्पत्ति की मांग करने या महिला को प्रताड़ित करना क़ानूनन अपराध है, यदि कोई भी इस प्रकार का कृत्य करता है तो प्रताड़ित महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत दहेज के लिए प्रताड़ना के सम्बंध में पुलिस रिपोर्ट (एफआईआर) कर सकती हैं ।

2. यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा महिला की इच्छा के विरूद्ध उसके पैसे, जेवर, शेयर्स या बैंक खाते या किसी भी तरह की वस्तु का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो वह महिला कानूनी रूप से उसकी सहमति के बिना किये गए कार्य को रोक सकती है।

3. किसी भी शादीशुदा या अविवाहित महिला को उसके घर मे न रहने दिया जा रहा हो या उसको घर से बाहर निकलने की धमकी या जबरन घर से निकला जा रहा हो तब वह महिला अपने साथ हो रहे अन्याय व प्रताड़ना को घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत दर्ज कराकर उसी घर में रहने का अधिकार पा सकती हैं जिसमे वह रह रही हैं ।

4. ऐसी महिला जो विवाहित हैं, विवाहित होने की स्थिति में अपने बच्चे की कस्टडी और मानसिक तथा शारीरिक प्रताड़ना का मुआवजा भी मांगने का अधिकार है। 

5. घरेलू हिंसा जैसी स्थिति में महिलाएं खुद पर हो रहे अत्याचार, उत्पीड़न, प्रताड़ना के खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर करवा सकती है और  न्यायालय में न्याय की गुहार लगा सकती है।


इस लेख में लिखी जानकारी कुछ समय पहले की है अगर इनमें किसी भी प्रकार का संशोधन हुआ है तो आप अपने एडवोकेट से या नई बुक से संशोधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


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