अग्रिम जमानत [ Anticipatory Bail ]|अग्रिम जमानत व साधारण जमानत में अंतर |कानूनी प्रावधान एवं आवेदन कहाँ करें ?
अग्रिम जमानत ( Anticipatory Bail ) -
SachinLLB : जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार होने की आशंका हो या उसे किसी केस में गिरफ्तार किया जा सकता है, या पुलिस की लिस्ट में उसका नाम आ रहा हो, तब ऐसे में जेल जाने से बचने के लिए, या गिरफ्तार ( Arrest ) होने से पहले ही कोर्ट में धारा 438 सीआरपीसी के अंर्तगत जमानत के लिए आवेदन लगा सकता है , यदि आवेदन मंजूर हो जाता है, तब कोर्ट द्वारा दिया गया जमानत का यह आदेश अग्रिम जमानत ( Anticipatory Bail ) आदेश कहलाता है ।
अग्रिम जमानत व साधारण जमानत में अंतर -
अग्रीम जमानत हेतु कानूनी प्रावधान -
1. Section 438 CrPC के अंतर्गत अग्रिम जमानत दिए जाने का प्रावधान है ।
2. अग्रिम जमानत देने का अधिकार सत्र न्यायालय ओर उच्च न्यायालय को ही प्राप्त हैं।
3. अग्रिम जमानत गैर-जमानतीय ( Non bailable ) अपराध में ही होती है, क्योंकि जमानतीय अपराध ( Bailable offense ) में जमानत थाने से ही दिए जाने का प्रावधान है ।
अग्रिम जमानत लेने के लिए कहां आवेदन करें -
सी.आर.पी.सी. की धारा 438 के अंतर्गत अग्रिम जमानत देने का अधिकार केवल सत्र न्यायालय ( सेशन कोर्ट ) और उच्च न्यायालय ( हाईकोर्ट ) को ही प्राप्त हैं। अग्रिम जमानत प्राप्त करने हेतू धारा 438 सीआरपीसी ( Section 438 CrPC ) के अंतर्गत सर्वप्रथम आवेदन सत्र न्यायालय ( Session Court ) में किया जाता हैं, यदि सत्र न्यायालय द्वारा आवेदन निरस्त किया जाता हैं, तब आवेदन के निरस्ती आदेश की प्रमाणित प्रति लेकर अग्रिम जमानत प्राप्त करने हेतु आवेदन उच्च न्यायालय ( High Court ) में प्रस्तुत किया जाता हैं।
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