जमानत कितने प्रकार की होती है|Types of Bail ? जमानत क्या होती है। जमानत के क्या है आधार ।
जमानत यानी बेल के प्रकार Types of Bail -
1- साधारण जमानत (Regular Bail) - यदि किसी अपराध या क्राइम में आरोपी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो वह साधारण बेल यानी जमानत के लिए आवेदन करता है, न्यायालय द्वारा सीआरपीसी की धारा 437 और 439 के तहत रेगुलर बेल दी जाती है।
2- अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) - यह बेल एक तरह से एडवांस बेल है, मतलब गिरफ्तारी होने से पहले ही बेल यानी जमानत पर रिहा होना। इस बेल यानी जमानत का आशय है कि जब व्यक्ति को किसी क्राइम के आरोप में गिरफ्तारी की आशंका हो तो वह सीआरपीसी की धारा 438 (Crpc section 438) के तहत अग्रिम जमानत प्राप्त करने के लिए कोर्ट में आवेदन करता है, यदि बेल मिलती है तो वह गिरफ्तारी से बच जाता है।
3- अंतरिम जमानत (Interim Bail) - जब किसी क्राइम में एक्यूसड की रेगुलर बेल या एंटिसिपेटरी बेल पर सुनवाई होने में कुछ दिन शेष हो तो यह इंटरिम बेल दी जाती है यह बहुत कम समय के लिए दी जाती है।
4- थाने से मिलने वाली बेल - थाने से मिलने वाली जमानत को टेबल जमानत भी कहते है, यह बेल जमानती धाराओं (bailable clauses) में दर्ज मामलों में, जैसे- मारपीट, धमकी, गाली-गलौज आदि जैसे अपराधों में गिरफ्तारी हो भी जाए तो भी थाने से ही जमानत मिल जाती है, जिसे टेबल बेल भी कहा जाता है । ऐसे मामलों में जमानत बॉन्ड भरने या किसी व्यक्ति को गारंटर के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है, इतना करने पर थाने से ही जमानत दे दी जाती है। |
जमानत के आधार क्या है |What is the basis of Bail -
जब भी किसी आरोपी (Accused) को बेल देने का मुख्य आधार यह माना जाता है कि अपराध साबित होने तक उसे निर्दोष मानकर चलना । मतलब जब तक कानून की नजर में वह दोषी सिद्ध नहीं हो जाता, उसे निर्दोष ही माना जाए।
इसी आधार पर उस शख्स के लिए आरोपी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है न कि अपराधी शब्द का । ओर यदि उस पर लगाए गए आरोप सिद्ध होने तक अगर वह जेल में रहता है, तो उसे सजायाफ्ता की बजाय विचाराधीन कहा जाता है।
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