महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है ? What are the legal rights of women.

महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है ? What are the legal rights of women.


महिलाओं के कानूनी अधिकार भारत के संविधान और विभिन्न कानूनों के तहत सुरक्षित किए गए हैं। ये अधिकार महिलाओं को समानता, सुरक्षा, सम्मान और स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। प्रमुख कानूनी अधिकार निम्नलिखित हैं:

1. संवैधानिक अधिकार


समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-16): लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।

जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21): सम्मानपूर्वक जीवन जीने और स्वतंत्रता का अधिकार।

शोषण के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 23-24): जबरन श्रम और बाल श्रम के खिलाफ सुरक्षा।


2. महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़े प्रमुख कानून


(A) वैवाहिक और संपत्ति संबंधी अधिकार


हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: महिलाओं को विवाह, तलाक, भरण-पोषण और पुनर्विवाह का अधिकार।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956: महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार।

मुस्लिम पर्सनल लॉ: मुस्लिम महिलाओं के विवाह, तलाक (तलाक-ए-तफ्वीज, खुला) और संपत्ति अधिकार निर्धारित करता है।

गुजारा भत्ता अधिनियम, 1973: तलाकशुदा या परित्यक्त महिलाओं को पति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार।


(B) सुरक्षा और संरक्षण संबंधी कानून


दहेज निषेध अधिनियम, 1961: दहेज लेना-देना कानूनी अपराध है।

गृह हिंसा अधिनियम, 2005: घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा और सहायता के प्रावधान।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम) अधिनियम, 2013: कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा।

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006: 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की का विवाह अवैध।

निर्भया एक्ट (संशोधित आपराधिक कानून, 2013): महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए कठोर दंड।


(C) मातृत्व और श्रम अधिकार


मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961: गर्भवती महिलाओं को 26 सप्ताह का सवेतन अवकाश।

समान वेतन अधिनियम, 1976: पुरुषों और महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार।


3. महिला सशक्तिकरण और विशेष योजनाएँ


आरक्षण का अधिकार: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना: महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देना।

महिला हेल्पलाइन 1091: महिलाओं की आपातकालीन सहायता के लिए।


निष्कर्ष


महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे किसी भी अन्याय या शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें। यदि किसी महिला को अपने अधिकारों का हनन होता दिखे, तो वह पुलिस, महिला आयोग, एनजीओ, या कोर्ट की सहायता ले सकती है।

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