संविधान के भाग और उनकी विशेषताएँ । Parts of the Constitution and their features.
1. भाग I: संघ और उसका क्षेत्र
भारत को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संघ के रूप में परिभाषित करता है।
इसमें राज्यों के पुनर्गठन और सीमाओं में परिवर्तन के प्रावधान हैं।
2. भाग II: नागरिकता
भारतीय नागरिकता के नियम और मानदंड निर्धारित करता है।
यह यह बताता है कि कौन भारतीय नागरिक हो सकता है और नागरिकता प्राप्त करने, खोने या समाप्त करने के नियम क्या हैं।
3. भाग III: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
भारतीय नागरिकों को दिए गए बुनियादी अधिकार जैसे:
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
अनुच्छेद 32 को "संविधान की आत्मा" कहा जाता है, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए न्यायालयों में जाने का अधिकार देता है।
4. भाग IV: राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत (DPSP)
राज्य को सामाजिक और आर्थिक न्याय, कल्याणकारी राज्य और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
ये गैर-न्यायसंगत हैं, यानी इन्हें अदालत में लागू नहीं किया जा सकता।
5. भाग IV-A: मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए।
भारतीय नागरिकों के लिए 11 कर्तव्यों को निर्धारित करता है, जैसे संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, पर्यावरण की रक्षा करना, आदि।
6. भाग V: संघ (Union)
इसमें कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के प्रावधान हैं।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद (लोकसभा और राज्यसभा) की शक्तियों और कर्तव्यों का विवरण।
7. भाग VI: राज्य (States)
राज्यों की कार्यपालिका, विधानमंडल और न्यायपालिका की संरचना और शक्तियों को परिभाषित करता है।
8. भाग IX: पंचायतें और नगरपालिकाएँ
73वें और 74वें संशोधन (1992) द्वारा ग्राम पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिए स्थानीय स्वशासन की स्थापना।
संविधान संशोधन
भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को लचीला और कठोर दोनों बनाया गया है।
अब तक 105 संशोधन किए जा चुके हैं (2024 तक)।
सबसे महत्वपूर्ण संशोधन:
42वां संशोधन: इसे "मिनी संविधान" कहा जाता है।
73वां और 74वां संशोधन: स्थानीय स्वशासन को मजबूत किया।
भारतीय संविधान के अद्वितीय पहलू
1. लचीलापन और कठोरता का संतुलन:
संशोधन की प्रक्रिया संघीय और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है।
2. धर्मनिरपेक्षता (Secularism):
राज्य सभी धर्मों को समान मानता है और किसी धर्म को न तो बढ़ावा देता है और न ही दबाव डालता है।
3. न्यायपालिका की स्वतंत्रता:
भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष है।
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक है।
4. एकात्मक और संघीय विशेषताएँ:
शक्तियों का केंद्र और राज्य के बीच विभाजन, लेकिन संकट के समय केंद्र को अधिक शक्ति।
भारतीय संविधान का आदर्श
यह लोकतंत्र और जनहित के मूल्यों को संरक्षित करता है।
समाज के कमजोर वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान।
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