लोन (Loan) लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु (Dath) हो जाए, तो बैंक लोन की वसूली (Bank Loan Recovery) के लिए क्या करती है ।

लोन (Loan) लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु (Dath) हो जाए, तो बैंक लोन की वसूली (Bank Loan Recovery) के लिए क्या करती है ।

Death of the borrower due to any reason,


SachinLLB : आज हम यह जानेंगे कि जब लोन लेने वाले व्यक्ति की किसी कारणवश मृत्यु (Death of the borrower due to any reason) हो जाती हैं तब ऐसी स्थिति में बैंक लोन का निपटारा कैसे करती हैं। क्योंकि हम सभी के जीवन कई बार ऐसी परिस्थिति आती हैं कि हम लोन लेने की सोंचते है या लेते हैं और कभी न कभी बैंक से कर्ज लेते हैं। चाहे वह कर्ज किसी व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो या किसी बैंक से कर्ज (लोन) लिया गया हो । कभी-कभी हम खुद होम लोन या फिर वाहन लोन आदि कई प्रकार के लोन लेते है, और बैंक आपकोअलग-अलग ब्याज दरों पर कई कई प्रकार से कर्ज देता है।


बैंक द्वारा दिये जाने वाले लोन -


ये बात तो सभी को ज्ञात है कि बैंक द्वारा कितने प्रकार के लोन दिए जाते है। जैसे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, बिजनेस लोन, एजुकेशन लोन, विवाह के लिए लोन आदि।ओर लोन लेने के बाद बैंको की शर्तों के अनुसार अंत तक लोन को चुकाना होता है।


लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है कि बैंक से लोन लेने वाले व्यक्ति की किसी कारणवश मौत हो जाती है, तब बैंक द्वारा दिये गए लोन का क्या होगा, कौन व्यक्ति चुकाएगा उस लोन को या क्या वह लोन माफ हो जाएगा। इस तरह के कई प्रश्न आपके दिमाग मे चलते होंगे तो आइए लोन से जुड़े नियम क्या हैं ये जानने की कोशिश करते हैं।


क्या बैंक लोन या कर्ज माफ करते हैं -


हम आपको यह जानकारी बताते हैं कि कई लोग ये सोचते हैं कि लोन लेने वाले व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होने पर बैंक उनका कर्जा माफ कर देते हैं। तो इसका जवाब है बिल्कुल नहीं। यह सम्भव नहीं है क्योंकि चाहे किसी की भी मृत्यु हो जाए बैंक उनका पैसा वसूल करेगा। और अगर किसी की मृत्यु कर्ज से हुई है तो उस व्यक्ति की सम्पत्ति का वारिस उस कर्ज को चुकाएगा।


यदि वह लोन यानी कर्ज नही चुकाते हैं, तो बैंक कानूनी तौर पर उस व्यक्ति की संपत्ति बेच देता है और उनका पैसा वापस ले लेता है। और अगर संपत्ति कर्ज से अधिक है, तो बैंक ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के कानूनी रूप से उत्तराधिकारियों को नीलामी की आय भी लौटाता है।


लोन का बीमा होने पर बीमा कंपनी ऋण चुकाती है -


जैसा कि आप जानते होंगे की जब बैंकों से कर्ज लेते हैं तो बैंकों द्वारा टर्म इंश्योरेंस के बारे में बताया जाता है। और यदि बैंक के एम्प्लॉयर द्वारा नही भी बताया जाता हैं तो आप इस बात का अनिवार्य रूप से ध्यान रखें कि टर्म इंश्योरेंस जरूर करवाएं। यह टर्म इंश्योरेंस लोन को व ऋणी को दोनों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। 


यदि आप कर्ज लेते समय बीमा करवाते हैं, तो ऐसी स्थिति में ऋणी की मृत्यु के बाद, बीमाकर्ता बैंक को ऋण वापस कर देता है। ओर वही दूसरी तरफ यदि कोई बीमा नहीं है, तो बैंक कानूनी रूप से वारिसों ओर उत्तराधिकारीयो से बकाया राशि की वसूली करता हैं या बैंक द्वारा दो विकल्प दिए जाते है। वे चाहें तो सेटलमेंट कर सकते हैं या अपने नाम पर लोन ट्रांसफर कर सकते हैं, जिसे वे बाद में चुका सकते हैं।


कार लोन लेने पर क्या होता है  -


अगर आप कार लोन लेने की सोंच रहे है या अपने कार लोन ले लिया है, ओर यदि लोन की राशि नही चुकाते है, तो ऐसे में बैंक पहले वाहन को अपने कब्जे में लेता है, उसके बाद वाहन की नीलामी करता है,अगर नीलामी से बकाया राशि वसूल नही होने पर जुर्माना ।


अगर तब भी राशि नहीं वसूली जाती है, तब इस मामले में बैंक मृतक की अन्य कोई भी संपत्ति जैसे मकान, जमीन, अन्य वाहन, चल-अचल संपत्ति आदि को भी कर्ज के निपटान के लिए बेच सकती है। इसलिए लोन का इंश्योरेंस जरूर करवाएं।


जब पर्सनल लोन लेते हैं तब क्या होता हैं -


दोस्तों आपने कई बार देखा होगा कि बैंक हर तरह के लोन आसानी से दे देती हैं लेकिन पर्सनल लोन लेने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है , इस क्यों है क्योंकि अगर आपने पर्सनल लोन लिया है तो बैंक आपको नॉमिनी तय करने के लिए कहता है।


यदि ऐसे मामलों में ऋणी की मृत्यु हो जाती हैं तो उसकी मृत्यु के बाद उत्तराधिकारियों को बकाया राशि का भुगतान करना पड़ता है। वैसे व्यक्तिगत ऋण अधिकतर बीमाकृत ऋण होते हैं और जब ग्राहक लोन किश्त जमा करता है तब किश्तों की राशि के साथ बीमा प्रीमियम का भी भुगतान कर लिया जाता है। यदि ऐसे में अगर ऋणि की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु बाद बीमाकर्ता से ऋण की शेष राशि की वसूली की जाती है।


बिजनेस लोन मे क्या होता है -


बिजनेस लोन भी व्यक्तिगत लोन यानी पर्सनल लोन की तरह ही होते है, बिजनेस लोन भी पूर्व बीमित होते हैं ताकि अगर व्यवसाय के खत्म या ऋणी की मृत्यु होने की स्थिति में बीमाकर्ता से ऋण की वसूली की जा सके।

उदाहरण के लिए मान लिया जाए कि आपने बिजनेस लोन लिया है और बीमा नहीं लिया तो ऐसे मामले में बैंक ऋण राशि के बराबर आपकी संपत्ति पहले से ही गिरवी रखवा लेती है। ताकि बाद में कर्ज की वसूली के लिए इसे बेचा जा सके।

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