सभी आरोपियों की संपत्ति होगी जप्त | Section 83 CrPC | संपत्ति कुर्क किए जाने के संबंध में | धारा 83 सीआरपीसी क्या है ?

सभी आरोपियों की संपत्ति होगी जप्त |  Section 83 CrPC | संपत्ति कुर्क किए जाने के संबंध में | धारा 83 सीआरपीसी क्या है ?

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SachinLLB : नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे कि धारा 83 सीआरपीसी क्या है ? कानून (Law) में धारा 83 के क्या प्रावधान है, एवं धारा 83 सीआरपीसी कब लागू की जाती हैं। तो आइए जानते हैं कि Section 83 CrPC का सम्पत्ति से क्या सम्बन्ध हैं। सामान्यतः सीआरपीसी की धारा 83 (Section 83 CrPC) फरार व्यक्ति की संपत्ति को कुर्क या जप्त करने की प्रक्रिया (Procedure) को बताती है।


संपत्ति जप्त करने से संबंधित प्रावधान | Provisions relating to confiscation of property - 


CrPC की धारा 83 फरार व्यक्ति (absconding person) की संपत्ति कुर्क करने से जुड़ी है, धारा 83 CrPC ,1974 में लागू की गई थी, तथा सीआरपीसी CrPC में कई बार संशोधन हुए हैं। दंड प्रक्रिया संहिता में कई कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) को परिभाषित (Defined) किया गया है, जिनका प्रयोग न्यायालयीन कार्यवाही (Court proceedings) एवं पुलिस कार्य प्रणाली में किया जाता है।


इस तरह सीआरपीसी (CrPC) की धारा 83 (Section 83 CrPC) उन व्यक्तियों की सम्पत्ति से है, जो फरार घोषित हो गए हैं, तथा सीआरपीसी की धारा 83 (Crpc section 83) फरार व्यक्ति की संपत्ति को कुर्क करने या जप्त करने की प्रक्रिया (Procedure) को बताती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 83 क्या बताती है ।


सीआरपीसी की धारा 83 (Section 83 CrPC ) यानि दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 83 में फरार व्यक्ति (Absconding person) की संपत्ति को कुर्की (Attachment of property) करने का प्रावधान (Provision) है, CrPC की धारा 83 के अंतर्गत कुछ कानूनी प्रक्रिया है जो इस प्रकार है।


सीआरपीसी की धारा 83 के अंर्तगत संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया (property attachment process) -


1.  धारा 82 के अधीन (Under section 82) उदघोषणा जारी करता है,  उदघोषणा जारी करने वाला न्यायालय, किन्हीं ऐसे कारणों से, जो की लेखबद्ध किए जाएंगे । तथा उदघोषणा (Announcement) जारी किए जाने के बाद किसी भी समय, उदघोषित व्यक्ति (Proclaimed person) की चल - अचल अथवा दोनों प्रकार की किसी भी संपत्ति की कुर्की (Attachment of property) का आदेश (Order) दे सकता है।


लेकिन उदघोषणा (Announcement) जारी करते वक्त न्यायालय का शपथ पत्र (Affidavit of court) द्वारा या अगर समाधान (Solution) हो जाता है, कि वह व्यक्ति जिस व्यक्ति के संबंध में उदघोषणा जारी की जाती है।


ऐसा कोई आदेश (Order) जो उस जिले में जिसमें वह दिया गया है, उस व्यक्ति की किसी भी संपत्ति की कुर्की प्राधिकृत (Authorized) करेगा और यदि उस जिले के बाहर की उस व्यक्ति की किसी संपत्ति की कुर्की तब प्राधिकृत करेगा जब वह उस जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) द्वारा, जिसके जिले में ऐसी कोई संपत्ति (Property) स्थित या विध्यमान है।


2.   यदि फरार व्यक्ति की वह संपत्ति जिसको कुर्क करने का आदेश (Attachment order) दिया गया है, ऋण (Loan) या अन्य जघम संपत्ति हो, तब इस धारा के अधीन (Under the section) कुर्की -


  • अधिग्रहण (Capture) द्वारा की जाएगी । अथवा 
  • किसी रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of receiver) द्वारा की जाएगी। या
  • उदघोषित व्यक्ति को या उसके निमित्त किसी भी व्यक्ति को भी उस संपत्ति का परिदान (Delivery of property) करने का प्रतिषेध (Prohibition) करने वाले लिखित आदेश (Written order) द्वारा की जाएगी। अथवा 
  • इन समस्त रीतियों के अनुसार या किन्हीं दो के अनुसार की जाएगी। जैसा न्यायालय (Court) उचित समझे।


3.  यदि उस संपत्ति (Property) जिसको की कुर्क करने का आदेश (Attachment order) दिया गया है, अचल यानी स्थावर (Immovable) है, तो इस धारा के अधीन सम्पत्ति की कुर्की राज्य सरकार (State government) को राजस्व देने वाली भूमि (Revenue generating land) की दशा में उस जिले के कलेक्टर (District Collector) के माध्यम से की जाएगी, जिसमें वह भूमि स्थित है। और अन्य सभी दशाओं में -

(अ) कब्जा (Capture) लेकर की जाएगी। या 

(ब) रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of receiver) के द्वारा की जाएगी।


4.  यदि वह संपत्ति (Property) जिसको कुर्क (Attach) किये जाने का आदेश दिया गया है, जीवधन है, या विनश्वर प्रकृति (Life or perishable nature) की है तब, न्यायालय उचित (Accurate) समझता है, तो न्यायालय उस सम्पत्ति को तुरंत विक्रय करने का आदेश (Sales order) दे सकता है, और ऐसी अवस्था में विक्रय परिणाम (Sales proceeds) न्यायालय के आदेश के अधीन रहेंगे।


5.  सीआरपीसी (CrPC) की धारा के अधीन नियुक्त (Appointed under section) किसी रिसीवर की शक्तियां, दायित्व एवं कर्तव्य (Powers, Duties and Obligations of the Receiver) वही रहेंगे जो, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन नियुक्त रिसीवर (Appointed receiver) के होते हैं।


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