CrPC Section 50 | क्या है सीआरपीसी की धारा 50 | गिरफ्तारी के आधार और जमानत के अधिकार ।
SachinLLB : सीआरपीसी की धारा 50 (Section 50 CrPC) में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की गिरफ्तारी के आधार के सम्बंध में (ground) और जमानत के अधिकारों (rights) के बारे में बताया गया है।
धारा 50 सीआरपीसी (section 50 crpc) में बताया गया है की पुलिस अधिकारी (police officer) गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को, जब वह पुलिस थाने (Police Station) में लाया जाता है, उपधारा (1) के अधीन उसके अधिकारों (rights) के बारे में उसे बतायेगा।
सीआरपीसी (CrPC) क्या है | What is CrPC -
सीआरपीसी एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है, CrPC पूरा नाम Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) है, CrPC को हिंदी में दंड प्रक्रिया संहिता कहते है। सीआरपीसी (CrPC) में 37 अध्याय (Chapter) हैं, तथा 484 धाराएं (Sections) हैं।
इसीप्रकार जब भी कोई अपराध होता है, तब हमेशा दो प्रक्रियाएं अनुसरण में आती हैं, एक तो पुलिस को अपराध (Crime) की जांच करने में अपनानी होती है, जो पीड़ित व्यक्ति से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) से सम्बंधित होती है। सीआरपीसी (CrPC) में इन दोनों प्रक्रियाओं का समावेश किया गया है।
CrPC सीआरपीसी कब लागू हुई -
सन, 1973 में सीआरपीसी के लिए कानून (Law) पारित किया गया, उसके बाद 1 अप्रैल, 1974 में सीआरपीसी (CrPC) यानी दंड प्रक्रिया संहिता सम्पूर्ण देश में लागू हो गई, तथा CrPC में कई बार समय समय पर संशोधन (Amendment) भी किए गए है।
CrPC Section 50, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अधिकार -
Section 50 CrPC गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति की बाध्यता से जुड़ी है । CrPC की धारा 50 सन 1974 में लागू की गई थी , सीआरपीसी CrPC में कई बार संशोधन हो चुके हैं। अगर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में न्यायालय (Court) और पुलिस (Police) के अधिकारों का उल्लेख किया गया है, तो वहीं दूसरी और आरोपियों (Accused) के अधिकारों का भी उल्लेख किया गया है।
सीआरपीसी में गिरफ्तारी (Arresting) और गिरफ्तारी से संबंधित प्रक्रिया (Process) के बारे में भी स्पष्ट जानकारी (information) दी गई है। सीआरपीसी (CrPC) की धारा 50 (Section 50) में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की गिरफ्तारी के आधार (grounds) और जमानत (bail) के अधिकारों (rights) की सूचना देने की बाध्याता का स्पष्टीकरण (compulsion) बताया गया है।
सीआरपीसी की धारा 50 (CrPC Section 50) के अनुसार पुलिस अधिकारी की बाध्यता -
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 (Section 50) में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की गिरफ्तारी के आधार (grounds for arrest) और उसकी जमानत (bail) के अधिकारों (rights) की सूचना देने के सम्बंध में बताया गया हैं लेकिन गिरफ्तार किए व्यक्ति को उसके अधिकार के बारे में बताने की बाध्यता उस अधिकारी (officer) की है, जिसने गिरफ्तारी की कार्यवाही को अंजाम दिया है।
Dhara 50 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड |
सीआरपीसी की धारा 50 (CrPC Section 50) की कार्यवाही कैसे होती है -
- इस सीआरपीसी के अधीन अगर कोई गिरफ्तारी (arrest under this Code) करने वाला पुलिस अधिकारी (Police officer) या कोई अन्य व्यक्ति (other person), अगर ऐसी गिरफ्तारी (arresting) और स्थान (Place) के बारे में, जहां उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया या व्यक्ति रखा जा रहा है।
इसकी जानकारी उसक किसीे मित्र (friends) या नातेदारों (relatives) या ऐसे किसी व्यक्ति को, जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा जानकारी देने के प्रयोजन (purpose of giving such information) के लिए बताया गया या नामनिर्दिष्ट (manifest or designated) किया जाए, उसे तुरंत देगा।
- कोई भी पुलिस अधिकारी (police officer) गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को, जैसे ही उसे पुलिस थाने (Police Station) लाया जाता है, की धारा 50 CrPC की उपधारा (1) के अधीन उसके अधिकारों (rights) के बारे में (Inform) बताएगा ।
- CrPC में यह प्रावधान है कि, किसी ऐसे तथ्य की प्रविष्टि जो कि, व्यक्ति की गिरफ्तारी की सूचना (informed of the arrest) किसे दी गई है, तथा किस पुलिस अधिकारी को दी गयी है, उस पुलिस थाने (Police Station) में रखी जाने वाली किताब (Book) में एक प्रारूप में, जो राज्य सरकार (State Government) द्वारा इस निमित्त विहित (prescribed for) की जाएगी, जिसे रोजनामचा प्रारूप (Rojnamcha Form) भी कहते हैं।
- मजिस्ट्रेट (Magistrate) के समक्ष ऐसे गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को पेश किया जाता है, तो यह कर्तव्य (duty) होगा कि वह अपना समाधान करें, कि उपधारा 2 (Sub-Section 2) और उपधारा 3 (Sub-Section 3) की अपेक्षाओं का गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के संबंध में अनुपालन किया गया हो।
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