पुलिस अधिकारी ( POLICE OFFICER ) एफ.आई.आर. रिपोर्ट ( CRIME REPORT ) लिखने से मना करें | तो आपके पास हैं, ये कानूनी अधिकार ?

पुलिस अधिकारी ( POLICE OFFICER ) एफ.आई.आर. रिपोर्ट ( CRIME REPORT ) लिखने से मना करें | तो आपके पास हैं, ये कानूनी अधिकार ?



F. I. R. के सम्बंध में कानूनी अधिकार -


SachinLLB : जब भी कोई अपराध ( Crime ) होता है, तो पुलिस का सर्वप्रथम यह काम है, कि वह अपराध की रिपोर्ट ( Crime Report ) अपने प्रथम सूचना रिपोर्ट ( First Information Report ) रजिस्टर में दर्ज करें और इसका प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 [ Section 154 Cr PC ] में दिया गया है । ऐसी सूचना को एफ.आई.आर. कहते है ।

F. I. R. डाउनलोड करें - Click Here


जीरो एफआईआर ( ZERO F.I.R ) किसे कहते हैं ? ZERO FIR से सम्बंधित अधिकार -


कई लोगों में यह धारणा है कि किसी मामले की एफआईआर रिपोर्ट ( F.I.R. Report ) उसी थाने में की जाती है, जिस थाना क्षेत्र के अंदर अपराध या घटना घटित हुई है। अगर अपराध उस थाना क्षेत्र में नहीं हुआ है तो भी पुलिस उस अपराध या घटना की रिपोर्ट अपने एफआईआर रजिस्टर में नोट कर सकती है । ऐसी एफआईआर को जीरो एफआईआर कहा जाता है ।


जीरो एफआईआर ( Zero F. I. R. ) रिपोर्ट को दर्ज करने के बाद पुलिस उसे आगे की कार्रवाई हेतु संबंधित थाने में भेज देगी । अगर कोई पुलिस अधिकारी यह कहकर शिकायत दर्ज ( Complaint Registration ) करने से मना कर देता है, कि वह उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर है, तो यह आईपीसी की धारा 166 - ए [ Section 166 - (A) I.P.C ] के तहत अपराध है, जिसमें 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है ।


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एफ.आई.आर. ( F.I.R. ) कितने तरीकों से की जा सकती हैं -


01. पुलिस ( Police ) को एफ.आई.आर. लिखित और मौखिक दोनों तरीको से की जा सकती है । अगर कोई शिकायत मौखिक रूप से की जाती है, तो पुलिस अधिकारी ( Police Officer ) की यह जिम्मेदारी होती है कि वह रिपोर्ट को दर्ज करेगा या थाने की किसी अधिकारी से दर्ज करवाएगा और शिकायत लिखने के बाद जिस व्यक्ति द्वारा शिकायत की गई है, उस व्यक्ति को पढ़कर सुनाएगा उसके बाद शिकायत ( Complaint ) करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर करवाएगा ।

और जो शिकायत लिखी गई हैं, उसकी एक कॉपी ( Photo copy ) शिकायतकर्ता को नि:शुल्क दी जाएगी । आजकल पुलिस एफआईआर ऑनलाइन भी अपलोड होती है , यदि आप चाहें तो ऑनलाइन से भी एफ.आई.आर. ( F. I. R. ) डाउनलोड कर सकते है। 

अगर कोई शिकायतकर्ता किसी कारण से अक्षम है , तो पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती है कि उस व्यक्ति के निवास पर जाकर एफआईआर रिकॉर्ड (FIR Record) करें । और यदि शिकायतकर्ता कोई महिला है या जिसके साथ कोई महिला संबंधित अपराध ( Crime ) हुआ है, तब वह शिकायत केवल महिला पुलिस ( lady police ) अधिकारी के द्वारा ही रिकॉर्ड की जा सकती है ।


02. यदि किसी पुलिस थाने ( Police Station ) में आपकी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है, तो आप इसकी लिखित शिकायत अपने संबंधित जिले के जिला पुलिस अधीक्षक ( S. P. ) को कर सकते है, यह एसपी की जिम्मेदारी होती है, कि वह संबंधित थाने से मामले की जांच करवाएं और शिकायत दर्ज ( Complaint Registration ) करवाएं ।


अगर फिर भी किसी कारण से आपकी एफआईआर नहीं लिखी जाती है , तब आप सारे आवेदन की प्रति जो आपने थाने या एसपी ऑफिस में दिए है , उन्हें लेकर अपने वकील ( Advocate ) के माध्यम से न्यायालय ( Court ) में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 ( 3 ) [ Section 156 (3) ] के तहत कम्प्लेंट ( complaint ) लगा सकते हैं । न्यायिक मजिस्ट्रेट को यह अधिकार और प्राप्त है, कि वह पुलिस को प्राथमिकी दर्ज ( F. I. R. ) करने को कह सकता है ।


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महत्वपूर्ण दृष्टांत -


भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 05 न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ द्वारा एफआईआर ( FIR ) दर्ज करने के संबंध में 12 नवंबर 2013 को , ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार में एक बेहद महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए थे , जिसमें कहा गया था कि सी.आर.पी.सी. की धारा 154 ( Section 154 Cr PC ) के तहत संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलने पर पुलिस द्वारा बिना किसी प्रारंभिक जांच किए अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करनी होगी ।


यदि कोई पुलिस अधिकारी संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलने पर एफआईआर दर्ज ( F I R Registration ) नहीं करता है, तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती हैं। इस विषय के सम्बंध में आप अपने वकील ( Advocate ) से परामर्श या सहायता ले सकते हैं ।

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