गैर-जमानतीय अपराधों में जमानत [Bail in non-bailable offenses] कैसे प्राप्त करें। एवं आरोपी के क्या अधिकार हैं ।

गैर-जमानतीय अपराधों में जमानत [Bail in non-bailable offenses] कैसे प्राप्त करें। एवं आरोपी के क्या अधिकार हैं ।

Bail in non-bailable offenses,

 

गैर-जमानतयोग्य अपराधों में जमानत के आधार -


SachinLLB - भारत में कुछ ऐसे अपराध होते हैं, जिनके लिए जमानत नहीं दी जा सकती है। ऐसे अपराधों को 'गैर-जमानतीय अपराध' (non-bailable offence) कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ऐसे अपराधों के लिए आमतौर पर जमानत नहीं मिलती है।


लेकिन कुछ मामलों में न्यायाधीशों को इसे समझने और उस पर विचार करने का हक होता है कि क्या इस मामले में गुनाही का आरोप लगाने वाले व्यक्ति को जमानत देना चाहिए या नहीं।


इस आलेख में हम गैर-जमानतयोग्य अपराधों में जमानत के आधार पर बात करेंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि गैर-जमानतयोग्य अपराधों में जमानत देने का यह सबसे अधिक बड़ा कारण है कि गुनाही के आरोपी (accused) को न्यायपालिका के सामने उसकी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है।


इसके अलावा, गुनाही के आरोपी की गिरफ्तारी (arrest of accused) के बाद वो अपनी समाजिक, आर्थिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का ध्यान रख सकता है।


गैर-जमानतयोग्य अपराधों की सूची काफी लंबी है। इसमें कुछ मुख्य अपराध हैं जैसे नाबालिगों के साथ बलात्कार, आतंकवाद, देशद्रोह और हत्या जैसे अपराध। इसके अलावा, भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन, अंतरराष्ट्रीय अपराध और जानवरों के साथ जुड़े अपराध भी इस सूची में शामिल हैं।


गैर-जमानतीय अपराधों में जमानत के आधार -

हालांकि, जब किसी आरोपी को गैर-जमानतयोग्य अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है, तो उसको भी जमानत दी जा सकती है। इसके लिए न्यायपालिका के सामने कुछ आधार होते हैं जो आरोपी को जमानत देने के लिए मददगार होते हैं।


आरोपी का व्यक्तिगत पहचान प्रमाणित करना -

जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और उसे गैर-जमानतयोग्य अपराधों के लिए जेल भेजा जाता है, तो इससे पहले न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि उस आरोपी का व्यक्तिगत पहचान प्रमाणित रना होगा।


यह आरोपी की पहचान करने के लिए पुलिस या अन्य अधिकारिक संगठनों द्वारा उपयोग में लाए गए आधार दस्तावेजों का उपयोग करके किया जाता है। इसके लिए, न्यायपालिका द्वारा स्थानीय पुलिस अथॉरिटी से पुष्टि की जाती है कि आरोपी वास्तव में वह ही व्यक्ति है जिसे उस अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है। इसके लिए, आरोपी को उसकी फोटोग्राफ, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि की जाँच के लिए प्रस्तुत करना होगा।


जरूरी संदेह की स्थिति में जमानत -

अगर न्यायपालिका आरोपी के व्यक्तिगत पहचान के संदेह में है, तो वह आरोपी को जमानत देने के लिए तैयार नहीं होगी। हालांकि, यदि आरोपी अपनी पहचान को साबित करने के लिए कोई आवश्यक दस्तावेज या सबूत पेश करता है, तो न्यायपालिका उसे जमानत दे सकती है। इस तरह की स्थिति में न्यायपालिका को अपने निर्णय के समय उस संदेह को ध्यान में रखना होगा जिससे वह आरोपी के संदर्भ में निर्णय लेगी।


आरोपी के क्या अधिकार हैं -

जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे न्याय की खातिर उसके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। इसीलिए, जब भी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे उसके अधिकारों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। यह उसके संवैधानिक अधिकार होते हैं जिन्हें कई आरोपियों के द्वारा जाना जाता है। इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • सही खाद्य सामग्री का प्रदान करना
  • एक वकील की सलाह लेना और उससे मुख्य आरोप के बारे में सलाह लेना
  • स्वस्थ जीवन जीने के लिए पानी और खाने की व्यवस्था करना
  • फर्श पर सोने के लिए उचित स्थान का प्रदान करना
  • समय-समय पर दवाओं की व्यवस्था करना, जो उसे निरोगी रखने में मदद कर सकती हैं।
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