धारा 66-ए IT ACT में आया बड़ा बदलाव | क्या है धारा 66-ए | IT ACT SECTION 66-A

धारा 66-ए IT ACT में आया बड़ा बदलाव | क्या है धारा 66-ए | IT ACT SECTION 66-A


SachinLLB : हैल्लो फ्रेंड्स आप हम IT ACT की धारा 66-ए के बारे में बात करते हैं , क्यो आई टी एक्ट की धारा 66-ए के बारे में स्पष्टीकरण यह हैं कि सन 2015 के मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने आई टी एक्ट की धारा 66-A को खत्म कर दिया था । कोर्ट ने 66-ए के बारे में स्पष्ट कर दिया था कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, लिहाजा इसे ‘कानून की किताब' से तुरंत बाहर किया जाए ।


आखरी फैसले से पहले सरकार की और से दलील थी कि समाज और जनसामान्य में इंटरनेट का प्रभाव बहुत व्यापक है। सरकार ने यह भी कहा था कि टेलीविजन की तुलना में इंटरनेट पर पाबंदी का नियम कड़ा होना चाहिए।


सरकार का कहना यह था कि टी.वी. और प्रिंट अपने संस्थागत स्वरूप में चलते हैं, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट के साथ ऐसी कोई बात नहीं देखा जा सकती है । इस हिसाब से इंटरनेट पर अधिक ‘चेक एंड बैलेंस’ की नीति अपनाई जानी चाहिए । क्योंकि सरकार का यह तर्क था कि सोशल साइट में आपत्तिजनक पोस्ट या सामग्री डालने से समाज में कानून का महत्व कमजोर हो सकता है, इससे लोगों में गुस्सा और हिंसक प्रवृत्ति उत्पन्न हो सकती है।


IT ACT की धारा 66-A क्या है -


जब भी कोई व्यक्ति सोशल साइट (Social site) पर किसी भी प्रकार की ‘आपत्तिजनक सामग्री’ (offensive content) या पोस्ट करता है, तो आईटी एक्ट की धारा 66-A के तहत उस व्यक्ति की गिरफ्तारी की जा सकती  है।


साधारणत शब्दों में बात करें तो जब कोई यूजर सोशल मीडिया साइट (Social media sites) में आपत्तिजनक पोस्ट या सामग्री डालता है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस को उस शख्स को गिरफ्तार करने का है। परन्तु धारा 66-A (Section 66 A) शुरू से विवादों में रही है क्योंकि पहले भी इस प्रकार की कई घटनाएं सामने आई हैं, जब पोस्ट करने वाले यूजर को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाला गया है।


बाद में कोर्ट की दखलंदाजी के बाद उस व्यक्ति की रिहाई हो पाई है, अब सोशल साइट (Social site post) पर की गई पोस्ट या सामग्री अगर कानून की नजर में ‘आपत्तिजनक’ है, तो संबंधित यूजर को 3 साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकती है।


IT ACT की धारा 66-A में प्रावधान -


सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम ( information technology act ) में वर्ष 2009 में संशोधित अधिनियम के तहत धारा 66-ए को जोड़ा गया था। धारा 66-ए (section 66 A) कहती है कि कंप्यूटर या संचार उपकरण मोबाइल आदि के माध्यम से संदेश भेजने वाले उन व्यक्तियों को दंडित किया जाएगा जो-

  • जो आपत्तिजनक पोस्ट या सामग्री डालता है या धमकी भरा संदेश देता है।
  • जो कोई व्यक्ति कम्प्यूटर, संसाधन या संचार के उपकरण के जरिए जानबूझकर झूठी सूचना देता है ताकि किसी को भड़काया जा सके या परेशान किया जा सके या अपमान किया जा सके या घृणा या दुर्भावना का वातावरण बनाया जा सके।
  • जो कोई किसी को इलेक्ट्रॉनिक मेल या मेसेज भेजकर गुस्सा दिलाने या परेशान करने या बेज्जती करने या धोखा देने और उससे अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करता है। 

इस तरह के अपराध के लिए कानून में 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया हैं।

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