भारत के कानूनी ढांचे में हुए प्रमुख बदलावों का एक संक्षिप्त विवरण । A brief account of the major changes in India's legal framework.
भारत में कानून में समय-समय पर बदलाव हुए हैं, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए किए गए। यहां भारत के कानूनी ढांचे में हुए प्रमुख बदलावों का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है:-
1. संविधान का लागू होना (1950)
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। यह भारतीय कानून का आधार है।
संविधान में समय-समय पर 105 संशोधन किए गए हैं (2024 तक)।
2. संशोधन और बड़े कानूनी सुधार
जमीन सुधार कानून (1950-60 के दशक)
जमींदारी प्रथा को समाप्त कर भूमिहीन किसानों को जमीन देने के कानून बनाए गए।
समान नागरिक संहिता (1955-56)
हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और अन्य सुधार, जिनसे हिंदू समाज में लैंगिक समानता लाई गई।
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
समाज के पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए।
3. आर्थिक और औद्योगिक सुधार (1991)
भारत में 1991 में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीति लागू हुई, जिससे औद्योगिक और व्यापार कानूनों में बड़े बदलाव हुए।
विदेशी निवेश को प्रोत्साहन और लाइसेंस राज का खात्मा।
4. महिला अधिकार और लैंगिक समानता
दहेज निषेध अधिनियम (1961)
दहेज प्रथा को रोकने के लिए।
घरेलू हिंसा अधिनियम (2005)
महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए।
महिला आरक्षण विधेयक (2023)
महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण देने के लिए।
5. न्यायपालिका में बदलाव और नीतिगत सुधार
व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून (2023)
डिजिटल युग में नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए।
आधुनिक न्यायिक प्रक्रियाएं
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स ने PIL (लोकहित याचिका) का प्रावधान शुरू किया।
आपराधिक प्रक्रिया संहिता में सुधार (1973)
न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया गया।
6. समाज सुधार और धारा 377 (2018)
LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को रद्द कर दिया।
7. नोटबंदी और GST (2016-2017)
नोटबंदी के जरिए काले धन पर रोक लगाने की कोशिश की गई।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया गया, जिससे अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार हुआ।
8. तीन तलाक विधेयक (2019)
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की प्रथा से बचाने के लिए इसे अपराध घोषित किया गया।
9. समान नागरिक संहिता पर चर्चा (2020 के बाद)
एकल कानून व्यवस्था लागू करने के लिए व्यापक बहस चल रही है।
भारत का कानून समय और परिस्थिति के अनुसार लगातार विकसित हो रहा है। समाज की बदलती जरूरतों और मांगों के अनुरूप आगे भी कानून में बदलाव होते रहेंगे।
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