एक पत्नी अपने पति के खिलाफ कितने धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सकती है ? Under how many sections can a wife file a case against her husband? In Hindi

एक पत्नी अपने पति के खिलाफ कितने धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सकती है ? Under how many sections can a wife file a case against her husband? In Hindi 


SachinLLB - पति पत्नी के बीच जीवनसंगी एक महत्वपूर्ण संबंध होता है, लेकिन कई बार यह संबंध विभिन्न कारणों से कठिनाईयों का सामना कर सकते हैं। इस प्रकार की स्थितियों में, पत्नी को अपने पति के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का अधिकार होता है। भारतीय कानूनी प्रणाली में, पत्नी विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर सकती है।


धारा 498-ए (दहेज़ के खिलाफ अत्याचार) -

एक पत्नी अगर महसूस करती है कि उसे दहेज़ के मामले में अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है, तो वह धारा 498-ए के तहत मुकदमा दर्ज कर सकती है। इसके तहत पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कानूनी कदम उठाया जा सकता है।


धारा 125 (नाराज पति के खिलाफ) -

अगर पति ने पत्नी को निर्धन रहने पर छोड़ दिया है और उसे आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की जा रही है, तो पत्नी धारा 125 के तहत न्यायिक सहायता के लिए आवेदन कर सकती है।


धारा 12 Domestic Violence Act (घरेलू हिंसा कानून) -

यह एक अन्य महत्वपूर्ण धारा है जिसके तहत पत्नी अगर घरेलू हिंसा का शिकार है, तो उसे धारा 12 Domestic Violence Act के तहत सुरक्षा और न्याय मिल सकता है।


ये कुछ मुख्य धाराएं हैं, जिनमें पत्नी अपने पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकती है। हर स्थिति अनुसार, उसे अपने कानूनी सलाहकार से सलाह लेना चाहिए और उचित कदम उठाना चाहिए।


धारा 13 (विवाह निर्णय) -

यदि पति या पत्नी किसी भी कारण से विवाहीत जीवन जीने में असमर्थ हैं और उनके बीच सुलझाव नहीं हो सकता, तो विवाह निर्णय के लिए धारा 13 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।


धारा 24 (अलग होने का अधिकार) -

अगर पति या पत्नी को अदालत द्वारा अलग होने का अधिकार है, तो वह धारा 24 के तहत मुकदमा दर्ज कर सकता है। इसमें विभिन्न तथ्यों और कारणों के आधार पर अलग होने का निर्णय हो सकता है।

पत्नी को इन धाराओं के तहत कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसे अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ठीक से ज्ञान हो। वह अधिकारी और वकील से सलाह लेकर ही इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए।कृपया ध्यान दें कि यह सामान्य जानकारी है और यह निर्णय करने से पहले योग्य कानूनी सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

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