भारत में 2000 रुपये का नोट बंद होने के पीछे क्या कारण हैं। rason for closing 2000 rupees in hindi.

भारत में 2000 रुपये का नोट बंद होने के पीछे क्या कारण हैं। rason for closing 2000 rupees in hindi.  


SachinLLB : भारतीय मुद्रा सिस्टम में बदलाव के साथ, हाल ही में बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है दो हजार रुपये का नोट जो बंद होने का फैसला किया गया है। यह फैसला सरकार द्वारा लिया गया है और इसका उद्घाटन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किया गया है। 2000/- रुपये का बंद होना वित्तीय प्रणाली में कई प्रभावों (Multiple effects in the financial system) को जन्म देगा।


नोट बंद करने के महत्वपूर्ण कारण -

दो हजार रुपये का बंद होने का पहला कारण ब्लैक मनी (Black money) और आपरेशन क्लीन मनी को रोकना है। इस नोट का बंद हो जाना वित्तीय अपराधों को रोकने का प्रयास (efforts to prevent financial crimes) है जैसे कि धन जल्दी से जल्दी लॉन्डरिंग, नकली नोटों के उपयोग और अवैध व्यापार आदि। बड़े नोटों को बंद करके लोगों को आपरेशन क्लीन मनी के लिए अधिक सतर्क बनाया जाता है, जिससे धन के अवैध उपयोग को कम करने में मदद मिलती है।


द्वितीयता का कारण नोटों की प्रचुरता है। भारतीय मुद्रा प्रणतीय में दो हजार (2000/-) रुपये के नोटों की बहुतायत ने अपनी खुदरा प्रणाली को प्रभावित किया है। इन नोटों की प्रचुरता के कारण, उनका उपयोग गैर-आवागमनिय हो गया था। इसके परिणामस्वरूप, वित्तीय संस्थाओं, व्यापारियों, और आम नागरिकों को भुगतान में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।


तीसरा महत्वपूर्ण कारण बैंक संरचना में सुधार (Reforms in Bank Structure) की आवश्यकता है। दो हजार रुपये का बंद होना बैंकों को बाजार में नये नोटों के वितरण के लिए स्थान देता है, जिससे वे वित्तीय संरचना को मजबूत कर सकते हैं। यह उन्हें वित्तीय स्थायित्व और स्थिरता में सुधार करने में मदद करेगा। इसके अलावा, इस नोट के बंद हो जाने से बैंकों की रजिस्टर्ड नोट गिनती में सुधार होगा, जो संभावित त्रुटि और व्यवहारिक समस्याओं को कम करेगा।


2000/- रुपए बंद करने के फायदे और नुकसान -

अन्त में, दो हजार रुपये का बंद होना वित्तीय सामान्यीकरण की दिशा में एक कदम है। (A step towards financial normalization.) इसका परिणामस्वरूप अधिकतम दो हजार रुपये के नोट का बंद होना वित्तीय सामान्यीकरण की दिशा में एक कदम है। इसका परिणामस्वरूप अधिकतम नकदी प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है और भुगतान व्यवस्था को आधुनिकीकृत (Modernize the Payment System) किया जा सकता है। इसके साथ ही, इस कदम से भारत की आर्थिक प्रणाली को विश्वस्तरीय मानकों के साथ समर्थित किया जा सकता है।


यह बंदी सरकार के नकदी संचय प्रणाली (cash reserve system) को भी सुधारेगी। नकद राशि की अधिकता नकदी के संकुचित उपयोग का कारण बन सकती है और इससे बैंकों की नकद राशि का उपयोग अधिक हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, बैंक संचय में वृद्धि होगी और वित्तीय संस्थाओं को वित्तीय स्थायित्व प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।


व्यापार पर इसका प्रभाव  -

दो हजार रुपये के नोट के बंद होने से नकदी लाभकारी व्यापारी और नकदी की व्यापारिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। इससे नकदी की उपयोगिता कम होगी और लोग उद्योग, व्यापार, और व्यवसायों में वित्त्तीय सुधार के प्रति अधिक समर्थ होंगे। इसके साथ ही, नकदी के उपयोग की कमी से आधारित व्यवहारिक समस्याएं भी कम हो सकती हैं, जैसे कि नकदी चोरी, नकदी के नकली नोट और नकदी के लॉन्डरिंग के खतरे।


यह नकदी की कमी व्यापार को नए और आधुनिक भुगतान पद्धतियों की ओर प्रोत्साहित करेगी। डिजिटल वित्तीयकरण और ई-व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे नकदी संकुचित होगी और व्यापारियों को बैंक के माध्यम से सुरक्षित और निरापद भुगतान करने का मौका मिलेगा।


दो हजार रुपये के नोट का बंद होना व्यक्तिगत वित्तीय व्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। लोगों को धन के उपयोग की जिम्मेदारी बढ़ाने का अवसर मिलेगा और वे व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन में अधिक सतर्क बनेंगे। यह उन्हें बचत करने और निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे व्यक्तिगत वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा की स्थिति सुधारेगी।

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