कैदी की पैरोल PAROLE| भारत में पैरोल के क्या नियम हैं। What are the parole rules in India.
SachinLLB : पैरोल (Parole) क्या होती है ? पैरोल का सामान्यतः अर्थ है की, जब भी कोई व्यक्ति अपराध करता है, और उस व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है,
तथा गिरफ्तार किये गए उस व्यक्ति को पुलिस द्वारा 24 घंटे के भीतर magistrate या court के सामने पेश करना होता है, कोर्ट या मजिस्ट्रेट द्वारा उस व्यक्ति को , अपराध के अनुसार सजा सुनाई जाती है, जिसके बाद उस व्यक्ति को जेल वारंट बनाकर जेल भेज दिया जाता है।
सामान्य रूप से मान लीजिये कि उस व्यक्ति को 15 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई है, ऐसे में उस कैदी व्यक्ति को उसकी सजा का समय पूरा न हुआ हो या सजा की समयावधि समाप्त होने से पहले यदि उस व्यक्ति को अस्थाई रूप (temporary) से कुछ समय के लिए जेल से रिहा कर दिया जाता है तो उस रिहा कर देने को ही पैरोल कहते है।
भारत मे पैरोल कानून | parole law in india -
भारत में पेरोल का अनुदान जेल अधिनियम, 1894 एवं कैदी अधिनियम 1900 के तहत बनाए गए नियम होते है, इन नियमों द्वारा यह शासित होता है, कि प्रत्येक राज्य के अपने-अपने पैरोल नियम होते हैं, जिनमें से एक-दूसरे के साथ थोड़े बदलाव होते हैं।
पैरोल के प्रकार | Types of parole -
सामान्यतः पैरोल के 2 प्रकार होते हैं यानी पैरोल 2 तरह से मिलती है -
हिरासत पैरोल । Custody Parole
नियमित पैरोल । Regular Parole
हिरासत पैरोल - हिरासत पैरोल से आशय है कि, हिरासत पैरोल परिवार में किसी की मौत, या गंभीर बीमारी होना या परिवार में शादी होना। सामान्य रूप से कह सकते है कि इमरजेंसी यानी आपातकालीन परिस्थितियों का होना ।
तब ऐसी स्थिति में पैरोल दी जा सकती है, यह 6 घंटे के समय तक ही सीमित है, जिसके दौरान कैदी को यात्रा के स्थान पर ले जाया जाता है, तथा वहां से वापस जेल में भेज दिया जाता है, इस पैरोल का अनुदान संबंधित पुलिस स्टेशन से परिस्थितियों के सत्यापन के अधीन है और जेल अधीक्षक द्वारा परिस्थिति का सत्यापन दिया जाता है।
नियमित पैरोल - नियमित पैरोल का मतलब है कि, यह कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, तथा कम से कम 1 साल से जेल में सेवा कर रहे अभियुक्तों को छोड़कर, 1 माह की अधिकतम समयावधि के लिए छोड़ा जाता हैं। नियमित पैरोल कुछ आधारों पर दि जाती है -
- परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी में।
- परिवार के सदस्य की दुर्घटना या मृत्यु पर।
- परिवार में किसी एक सदस्य का विवाह ।
- कैदी की पत्नी की डिलीवरी पर।
- पारिवारिक या सामाजिक संबंध या शांतिप्रियता बनाए रखने के लिए।
- प्राकृतिक आपदा आने से दोषी के परिवार के जीवन या संपत्ति को गंभीर क्षति के लिए।
कुछ अभियुक्तों की श्रेणियां राज्य शासन के खिलाफ अपराधों में शामिल कैदी या राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को दृष्टिगत रखते हुए, भारत के गैर-नागरिक आदि पैरोल पर छोड़े जाने योग्य नहीं हैं माने जाते है।
कई राज्यों में पुलिस की रिपोर्ट और सिफारिश के साथ आवेदन जेल के महानिरीक्षक को भेजा जाता है, जिसे जिला मजिस्ट्रेट द्वारा माना जाता है, राज्य सरकार जिला मजिस्ट्रेट के परामर्श से निर्णय लेती है, एक कैदी जो ओवर स्टे पेरोल धारा 224 आईपीसी के तहत अपराध के लिए माना जाता है और सरकारी मंजूरी के साथ मुकदमा चलाया जा सकता है।