परिवाद किसे कहते है ? मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद कैसे लगाया जाता है | परिवाद के प्रकार । Who is the complaint ? Types of Complaints.

परिवाद किसे कहते है ? मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद कैसे लगाया जाता है | परिवाद के प्रकार । Who is the complaint ? Types of Complaints.

परिवाद किसे कहते है,  मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद कैसे लगाया जाता है, परिवाद के प्रकार , Who is the complaint, Types of Complaints,


SachinLLB : भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 2 (D) के अनुसार परिवाद से आशय किसी मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही किये जाने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित या मौखिक रूप में दिया गया वह अभिकथन है।


जिससे यह स्पष्ट होता है की किसी व्यक्ति ने, चाहे उसे ज्ञात है या अज्ञात, अपराध किया गया है। ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध मजिस्ट्रेट के समक्ष की गई शिकायत को परिवाद कहते हैं, तथा इसे प्राइवेट कम्पलेंट ( Private Complaint ) भी कहा जाता हैं।


परिवाद का प्रकार | Types of complaint -


  • परिवाद किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष ही प्रस्तुत किया जाता हैं।

  • परिवाद संज्ञेय और असंज्ञेय दोनों प्रकार के अपराधों के सम्बन्ध में किया जा सकता है ।

  • परिवाद प्रस्तुत करते ही उस अपराध के बारे में मजिस्ट्रेट को संज्ञान प्राप्त हो जाता है ।

  • मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने से ही पुलिस अधिकारी को उस अपराध के मामले में इन्वेस्टीगेशन करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है ।

  • मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही पुलिस अधिकारी उस अपराध से सम्बंधित इन्वेस्टीगेशन कर सकता है।  


परिवाद के आवश्यक तत्व क्या है | essential elements of the complaint -


  • परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष एक लिखित या मौखिक कथन होता है, जिसमे किसी अपराध से संबंधित तथ्य, घटना का संपूर्ण विवरण होता है, जिस पर विश्वास किया जाता है।

  • परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष ही प्रस्तुत किया जाता है कि किसी ज्ञात या अज्ञात व्यक्ति ने कोई आपराधिक कार्य  है।

    • परिवाद में मजिस्ट्रेट से स्पष्ट रूप से यह प्रार्थना की जाती है की मजिस्ट्रेट उस ज्ञात या अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ अपराध के आधार पर दण्ड प्रक्रिया संहिता में दिए गए प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही करें।

    • समाज का कोई भी व्यक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकता है ।

    • परिवाद का मुख्य उद्देश्य पीड़ित पक्ष को न्याय और अपराधी व्यक्ति को दण्ड दिलाने के लिए किया जाता हैं।

    परिवाद का उदाहरण | example of complaint  -


    जब किसी व्यक्ति के साथ कोई भी आपराधिक घटना घटित होती है, तब वह उस अपराध की सूचना पुलिस को देता है ताकि उस अपराध की सूचना के आधार पर पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट ( F. I. R. ) लिखी जाए, परन्तु यदि उक्त सूचना के आधार पर भी पुलिस अधिकारी ( F.I.R. ) प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से मना कर देता है या नही लिखता है।


    तो पीड़ित व्यक्ति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है, ( यानी प्राइवेट कम्पलेंट ) ताकि उक्त अपराध किये जाने वाले अपराधी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सके।

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