वाहन मालिक सावधान | वाहन बेचने (sell vehicle) पर अगर खरीदने वाला व्यक्ति नाम ट्रांसफर (name transfer) नहीं करवाए तब मालिक को क्या नुकसान हो सकते हैं ।
SachinLLB : दोस्तों आज हम बात करेंगे की कई बार ऐसा होता है कि वाहन बेचने पर अगर खरीदने वाला व्यक्ति वाहन को अपने नाम से ट्रांसफर नहीं करवाता है तब उस वाहन के मूल मालिक को क्या क्या नुकसान हो सकते हैं । वाहन एक व्यक्ति की संपत्ति होता है।
वाहन मालिक हमेशा रहें सावधान -
कई बार ऐसा होता है कि वाहन खरीदने और बेचने पड़ते हैं। लेकिन वाहनों से संबंधित लेखा जोखा सरकार द्वारा क्षेत्रीय परिवाहन कार्यालय (RTO) के माध्यम से अपने पास रखा जाता है। यदि किसी भी वाहन को बेचने (sell vehicle) पर उसके मालिक द्वारा खरीदने वाले व्यक्ति के नाम पर वाहन ट्रांसफर करवाया जाता हैं, तब ऐसे ट्रांसफर पर सरकार को रेवेन्यू भी प्राप्त होता है, जो राज्य शासन का राजस्व होता है।
लेकिन आजकल सरकार के रेवेन्यू से बचने के लिए स्टांम्प के माध्यम से वाहन खरीदने-बेचने का चलन भी चल रहा है जो गैर कानूनी है। कई वाहन ऐसे हैं जो बिना ट्रांसफर के ही कई लोगों को स्टाम्प के माध्यम से बिक चुके हैं, सिर्फ स्टाम्प की खरीद बिक्री की लिखापढ़ी से वाहन एक दूसरे को सौंप दिए जाते हैं। इसमें सरकार के राजस्व का तो नुकसान होता ही है ही लेकिन साथ ही जिस व्यक्ति के नाम पर वाहन रजिस्टर्ड है उसे भी भारी नुकसान का खतरा बना रहता है।
वाहन को बेचने के बाद की प्रक्रिया| Process after selling the vehicle-
किसी भी प्रकार के वाहन को जिस दिनांक को बेचा जाता है उससे चौदह दिनों के भीतर खरीदने वाले व्यक्ति को उस वाहन को अपने नाम पर ट्रांसफर करवाना होता है। यह प्रावधान मोटर व्हीकल एक्ट,1988 की धारा 50 के अंतर्गत दिया गया हैं, और अगर वाहन खरीदने या बेचने का राज्य अलग है, तो वाहन के ट्रांसफर की अवधि 45 दिनों तक हो सकती है। अगर वाहन को खरीदने या बेचने की कोई लिखापढ़ी स्टाम्प पर की जाती है तो वह केवल चौदह दिनों तक ही वैध होगी क्योंकि चौदह दिनों के अंदर ही उस वाहन का स्वामित्व ट्रांसफर करवाना अनिवार्य होता है।
मूल मालिक को क्या नुकसान हो सकता है -
किसी भी प्रकार की क्रिमिनल और सिविल जिम्मेदारी वाहन के मूल मालिक पर ही होगी, यदि बेचा गया वाहन खरीदने वाले के नाम पर ट्रांसफर नहीं करवाया जाता है तब भी वह वाहन उसके पहले मालिक के नाम पर ही दर्ज़ रहता है, वाहन से कई प्रकार के अपराध होना संभव हैं। ऐसी स्थिति में वाहन का मूल मालिक भी आरोपी बनाया जा सकता है। मूल मालिक केवल स्टाम्प की लिखापढ़ी के आधार पर यह नहीं कह सकता कि वाहन उसके द्वारा बेचा जा चुका है।
यदि ऐसे किसी वाहन से कोई तीसरा व्यक्ति शराब या अवैधानिक वस्तु इत्यादि प्रतिबंधित अपराधों के आरोप में पकड़ा जाता है तब वाहन का मूल मालिक भी पुलिस द्वारा आरोपी बना दिया जाता है क्योंकि वाहन का कब्जा उसे अपने पास रखने की जिम्मेदारी थी, उसके नाम पर दर्ज वाहन किसी अपराधी के पास जाता है और वह उससे अपराध कारित कर देता तब मूल मालिक पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है। या सड़क हादसा होने पर भी जिम्मेदारी मालिक पर ही आती हैं, आजकल सड़क हादसे होना आम बात हो गई है।
इस तरह स्टाम्प के आधार पर बेचे गए वाहन और ट्रांसफर नहीं करवाए गए वाहन से यदि कोई सड़क हादसा हो जाता है तब हादसे की गंभीरता के अनुरूप अपराध दर्ज होता है। जिसमे वाहन चालक और मूल स्वामी पर भी क्रिमिनल मुकदमा दर्ज किया जाता है।
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