इंडियन पेनल कोड (आईपीसी) के तहत कुछ नए प्रावधान | Some new provisions under the Indian Penal Code (IPC)

इंडियन पेनल कोड (आईपीसी) के तहत कुछ नए प्रावधान | Some new provisions under the Indian Penal Code (IPC)


SachinLLB : भारतीय दण्ड संहिता में नए प्रावधान का, प्रमुख उद्देश्य समाज में न्याय और सुरक्षा को मजबूती देना है।


धारा 109 | section 109 - संगठित अपराध ।


धारा 110 | section 110 - छोटे संगठित अपराध या सामान्य रूप से संगठित अपराध ।


धारा 111 | section 111 - आतंकवादी कृत्य का अपराध ।


धारा 150 | section 150 - भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य ।


धारा 302 | section 302 - छीनना ।


गृह मंत्री (Home minister) द्वारा बताए गए विधेयकों की प्रमुख विशेषताएं यहां दी गई हैं -


  • मॉब लिंचिंग (mob lynching) के लिए अलग प्रावधान 7 साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा ।


  • भगोड़ों की एक पक्षीय कार्यवाही और सजा। ex parte trial and punishment of fugitives


  • जीरो एफआईआर (Zero F.I.R.) के लिए औपचारिक प्रावधान, इससे नागरिक भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो।


  • जीरो एफआईआर को पंजीकरण (Zero FIR registration) के 15 दिनों के भीतर कथित अपराध के क्षेत्राधिकार वाले संबंधित पुलिस स्टेशन को भेजा जाना अनिवार्य है।


  • आवेदन के 120 दिनों के भीतर जवाब देने में प्राधिकरण की विफलता के मामले में आपराधिक अपराधों के आरोपी सिविल सेवकों, पुलिस अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए 'मानित मंजूरी ।


  • एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस डायरी (case dairy) के रखरखाव से लेकर आरोप पत्र दाखिल करने और फैसला सुनाने तक की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलीकरण।


  • 2027 तक जिरह, अपील सहित पूरी सुनवाई विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी।


  • यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य।


  • सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सज़ा- 20 साल या आजीवन कारावास।


  • नाबालिग से बलात्कार की सज़ा में मौत की सज़ा शामिल है।


  • एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी, न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन की हो जाएगी।


  • आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा।


  • सुनवाई की कार्यवाही समाप्त होने के बाद 30 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा।


  • फैसला सुनाए जाने के 7 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।


  • तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी करना अनिवार्य है।


  • 7 साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा।


  • जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती की जाएगी।


  • 7 साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा।


  • समरी ट्रायल का दायरा 3 साल तक की सजा वाले अपराधों तक बढ़ाया गया (सत्र न्यायालय में 40% मामले कम हो जाएंगे)।


  • संगठित अपराधों के लिए अलग कठोर सज़ा।


  • शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार को दंडित करने वाले अलग प्रावधान।


  • चेन/मोबाइल 'स्नैचिंग' और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान।


  • बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को 7 साल की कैद से बढ़ाकर 10 साल की जेल की अवधि तक।


  • मृत्युदंड की सजा को अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, आजीवन कारावास की सजा को अधिकतम 7 साल के कारावास में बदला जा सकता है और 7 साल की सजा को 3 साल के कारावास में बदला जा सकता है और इससे कम नहीं (राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग को रोकने के लिए) ।


  • किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य है, जिसके बाद मुकदमे की लंबित अवधि के दौरान जब्त किए गए वाहन के निपटान को सक्षम करने के लिए न्यायालय में एक प्रमाणित प्रति प्रस्तुत की जाएगी।
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